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अमेजॉन पर प्रखर श्रीवास्तव की गांधी हत्याकांड पर लिखी हुई हे राम पुस्तक बनी टॉप सेलर में नंबर वन

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प्रखर श्रीवास्तव की पुस्तक “हे राम
गांधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल.”
प्रकशित होते ही मात्र २४ घंटों में ही बेस्ट सेलर के पायदान पर स्थित यह पुस्तक अभी भी अपना आसन जमाएं बैठी है।
गांधी हत्या पर अब तक मैंने कई पुस्तकें पढ़ी हैं। किसीने गांधी के पक्ष में लिखा तो किसीने गोडसे के!किसीके बनाएं हुए नैरेटिव को सेट करने में कइयों ने अपनी लेखनी घिसी।
भारत के पक्ष की सभीने अनदेखी की,आखिर क्या हो रहा था भारत में?

आप इस पुस्तक के
ज्यों ज्यों पन्ने पढ़ते जाते है,मस्तिष्क को यूं झटके लगते हैं मानों भूकंप से धरती कांप रही हो।
विगत १७ सालों के इस दौर में अध्ययन के समय लेखक के मन की स्थिति क्या रही होंगी? यह सोचकर….
लेखक ने बिना किसी लाग लपेट के तथ्यों को एक माला में पिरोकर भारतीयों के सम्मुख रखा है।
Prakhar Shrivastava जैसा नाम, वैसी ही प्रखर बुद्धि! इस प्रखर बुद्धि ने ऐसे तथ्यों को प्रकाशित किया है जिन्हें स्वार्थी तत्वों ने अंधकार में दबाकर रखा था। #SD
आप पढ़े औरों को पढ़ाये।
#गांधीहत्या #गोडसे
Prakhar Shrivastava

भारत विभाजन के कई रहस्यों को हे राम पुस्तक में खोला गया है | हे राम गांधी हत्या कांड की प्रमाणिक पड़ताल

गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का तथ्यात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। इस पुस्तक में गांधी की हत्या से जुड़े एक पूरे काल खंड का बारीकी से अध्ययन किया गया है। आज़ादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ, हिंदुओं के मन में पैदा हुआ उपेक्षा और क्षोभ का भाव, सत्ता और शक्ति के लिए कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व में पड़ी फूट जैसी कई वजहों से गांधी हत्याकांड की पृष्ठभूमि तैयार होती है। गोडसे की चलाई तीन गोलियों की तरह ये सब मुद्दे भी गांधी की हत्या के लिये बराबरी से जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब-जब गांधी की हत्या की बात होती हैं तो इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। कभी इस विषय पर भी गंभीर चर्चा नहीं होती है कि “पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा” ये कहने वाले गांधी ने विभाजन के खिलाफ कोई आमरण अनशन या कोई आंदोलन क्यों नहीं किया? इस पुस्तक में इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ चर्चा की गई है। साज़िश की तह तक पहुंचने के लिए पुस्तक के लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक को मानक इतिहास लेखन की दृष्टि से देखा जाए तो लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग बहुत परिश्रम, सावधानी और समझदारी से किया है।

हे राम पुस्तक को लेकर पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और स्कॉलर शकील चौधरी की प्रतिक्रिया

हे राम पुस्तक



ये पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और स्कॉलर शकील चौधरी हैं। इन्होंने मेरी पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। आज से करीब दो साल पहले शकील जी ने मुझे अपने चैनल पर चर्चा के लिये बुलाया था। तभी से इनका और मेरा परिचय हुआ। पुस्तक लिखने के दौरान शकील जी से मैंने कई जानकारियां हासिल कि जैसे; पाकिस्तान में विभाजन के दौर में मुस्लिम लीग के किन-किन नेताओं की पुस्तकें मौजूद हैं, भारत से पाकिस्तान में आये मुस्लिम शरणार्थियों के आंकड़ें, उनके लिये तत्कालीन पाकिस्तान सरकार द्वारा बनाई गईं नीतियां… शकील जी से इन सभी विषयों पर मुझे मदद मिली।

पुस्तक को लेकर कई बार उनसे लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। गांधी को लेकर पाकिस्तान में क्या सोच है इस पर भी चर्चा हुई और उन्होंने मेरे साथ इस विषय पर एक वीडियो भी बनाया। अंग्रेज़ी भाषा में पुस्तक का जो अनुवाद कार्य चल रहा है उसके कई हिस्से उन्होंने पढ़े, पुस्तक से जुड़े मेरे कई वीडियो भी देखे और इसके बाद उन्होंने अपनी ये प्रतिक्रिया दी है। बहुत-बहुत धन्यवाद शकील चौधरी जी।

प्रसिद्ध लेखक अनुज धर ने भी विराम पुस्तक की सराहना की और विराम पुस्तक के लेखक प्रखर श्रीवास्तव की लेखनी और विचारों की तारीफ की

हे राम बुक

हे राम पुस्तक के पॉपुलर होने से विरोधी खेमे में हलचल पर प्रखर श्रीवास्तव जी ने कहा…

“उन लोगों को इतनी तकलीफ क्यों है???”

‘हे राम’ अमेजन की इंडियन हिस्ट्री कैटेगरी में लगातार पहले नंबर पर बनी हुई… अब बात करते हैं दूसरे नंबर की पुस्तक की… जिसे लिखा है वामपंथी इतिहासकार कॉमरेड बिपिन चंद्र ने और पुस्तक का नाम है India’s Struggle For Independence… कॉमरेड बिपिन चंद्र इतिहास लेखन परंपरा में मार्क्सवादी चिंतन धारा के इतिहासकार थे…

मेरी पुस्तक आने के बाद से जो ये वामपंथी, लिबरल, जो-हो-दी, कांगिये, नेहरुइये बिलबिला रहे हैं, इसकी यही वजह है… इन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा कि वामपंथी इतिहासकारों का झूठ की ज़मीन पर तैयार किया गया भ्रम का मायाजाल टूट रहा है।

नोट – याद रहे ये वही कामरेड बिपिन चंद्र थे जिन्होंने अयोध्या मामले में कोर्ट में इरफान हबीब और रोमिला थापर के साथ मिलकर राम मंदिर के निर्माण में रोड़े अटकाये थे। इन्होंने प्रभु श्री राम के अस्तित्व को लेकर झूठ गढ़े… ये कभी मत भूलना इन्हीं वामपंथी इतिहासकारों की वजह से हमारे रामलला को दशकों तक टैंट में रहना पड़ा था।

देश की महान इतिहासकार और ‘पद्मश्री’ से सम्मानित मीनाक्षी जैन ने भी पुस्तक की प्रशंसा की।

प्रखर श्रीवास्तव की पुस्तक की तारीफ करते हुए मीनाक्षी जैन ने कहा कि यह केवल एक पुस्तक नहीं है, यह केवल गांधी और गोडसे की कहानी नहीं है यह एक प्रमाणिक और ऐतिहासिक दस्तावेज है जोकि गांधी हत्याकांड के साथ-साथ उस दौर में हो रही घटनाओं को बेनकाब करता है ध्यान रहे आज से पहले कभी इस तरह की जानकारी सामने नहीं आई जिसमें शरणार्थियों के दर्द मुस्लिम तुष्टिकरण का पूरा सच , देश के विभाजन के गुनहगारों का काला चिट्ठा दिखाया गया है इस पुस्तक को प्रत्येक भारतवासी को अवश्य पड़ना चाहिए

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने भी हे राम पुस्तक की तारीफ की

प्रखर श्रीवास्तव की पुस्तक ही राम

देश में ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर बोलने वाले पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ से से तो सभी परिचित हैं जो कि किसी परिचय के मोहताज नहीं है जो देश में होने वाली गंभीर घटनाओं और समस्याओ पर खुलकर बोलते हैं जोकि राष्ट्रवाद के समर्थक हैं सभी राष्ट्रवादी यों के संबल हैं पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने भी प्रखर श्रीवास्तव की थी लिखी हे राम पुस्तक की जमकर तारीख की और देश के सामने बंटवारे का दर्द और तथ्य लाने के लिए प्रखर श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया।

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