kavi aman aksarkavita

कवि अमन अक्षर की भगवान राम पर अदभुत कविता सारा जग है प्रेरणा
प्रभाव सिर्फ राम है
भाव सूचियाँ बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं.

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सारा जग है प्रेरणा
प्रभाव सिर्फ राम है
भाव सूचियाँ बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं.
सारा जग है प्रेरणा 
प्रभाव सिर्फ राम है 
भाव सूचियाँ बहुत हैं 
भाव सिर्फ राम हैं.
कामनाएं त्याग पूण्य काम की तलाश में
राजपाठ त्याग
पूण्य काम की तलाश में
तीर्थ खुद भटक रहे थे
धाम की तलाश में
कि ना तो दाम
ना किसी ही नाम की तलाश में
राम वन गये थे
अपने राम की तलाश में भाव सूचियाँ बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं
आप में ही आपका
आप से ही आपका
चुनाव सिर्फ राम हैं
भाव सूचिया बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं.
ढाल में ढले समय की
शस्त्र में ढले सदा
सूर्य थे मगर वो सरल
दीप से जले सदा
ताप में तपे स्वयं ही
स्वर्ण से गले सदा
राम ऐसा पथ है
जिसपे राम ही चले सदा

दुःख में भी अभाव का
अभाव सिर्फ राम हैं
भाव सूचिया बहुत है
भाव सिर्फ राम हैं भाव सूचियाँ बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं

ऋण थे जो मनुष्यता के
वो उतारते रहे
जन को तारते रहे
तो मन को मारते रहे
इक भरी सदी का दोष
खुद पर धारते रहे
जानकी तो जीत गई

राम हारते रहे

सारे दुःख कहानियाँ है
दुःख की सब कहानियाँ हैं
घाव सिर्फ राम हैं
भाव सूचिया बहुत है
भाव सिर्फ राम है

सब के अपने दुःख थे
सबके सारे दुःख छले गये
वो जो आस दे गये थे
वही सांस ले गये
कि रामराज की ही
आस में दिए जले गये
रामराज आ गया
तो राम ही चले गये

हर घड़ी नया-नया
स्वभाव सिर्फ राम हैं
भाव सूचिया बहुत हैं
भाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत हैं
भाव सिर्फ राम हैं
जग की सब पहेलियों का 
देके कैसा हल गये 
लोग के जो प्रश्न थे 
वो शोक में बदल गये 
सिद्ध कुछ हुए ना दोष 
दोष सारे टल गये
सीता आग में ना जली
राम जल में जल गये

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