Kavi kumar vishwaskavita

रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है
जीना मरना खोना पाना चलता रहता है – kavi kumar vishwas best shayari

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रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है
जीना मरना खोना पाना चलता रहता है

सुख दुख वाली चादर घटती वढती रहती है
मौला तेरा ताना वाना चलता रहता है

इश्क करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है

जिन नजरों ने काम दिलाया गजलें कहने का
आज तलक उनको नजराना चलता रहता है

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