– Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक )
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विलुप्त होती गौरैया – कहाँ गयी वह नन्ही फुदकन , जो आँगन में आती थी
(विलुप्त होती गौरैया) *******************************कहाँ गयी वह नन्ही फुदकन , जो आँगन में आती थी !मधुर मधुर कलरव वह करके ,…
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कैसे जाऊँ झीलों के उस पार- Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक )
कैसे जाऊँ झीलों के उस पार ? माँझी रूठा , नौका टूटी , टूटी है पतवार ।गहरा पानी , दूर…
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